रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का
त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन
बहन अपने भाई को प्यार से राखी बाँधती है और उसके
लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को
यथाशक्ति उपहार देता है। बीते हुए बचपन की झूमती हुई याद भाई-बहन की आँखों के सामने नाचने लगती है। सचमुच, रक्षाबंधन का
त्योहार हर भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य
की याद दिलाता है।
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का त्यौहार है | भारत में यदि आज भी संवेदना, अनुभूति, आत्मीयता, आस्था और अनुराग बरकरार है तो इसकी पृष्ठभूमि में इन त्योहारों का
बहुत बड़ा योगदान है।
रक्षाबंधन पर्व
पर जहाँ बहनों को भाइयों की कलाई में रक्षा का
धागा बाँधने का बेसब्री से इंतजार है, वहीं दूर-दराज बसे भाइयों को भी इस बात का इंतजार है कि उनकी बहना उन्हें राखी भेजे। उन भाइयों को निराश होने की जरूरत नहीं है, जिनकी अपनी
सगी बहन नहीं है, क्योंकि
मुँह-बोली बहनों से राखी बंधवाने की परंपरा भी काफी पुरानी
है।
वास्तव में रक्षाबंधन की परंपरा ही उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं। भले ही उन बहनों ने
अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत
क्यों न की हो लेकिन उसी बदौलत आज भी इस त्योहार की मान्यता बरकरार है। इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्योहार की
शुरुआत की उत्पत्ति लगभग 6 हजार साल पहले बताई गई है।
Let people not fool the tourists and touristers not get fooled with all sorts of package to promote tourism. The holy Kumbh is meant purely for spiritual purposes where everybody in their best of understanding take dip in the holy Ganges. It is not a place for material enjoyment. Let people not be fooled. Those who are aware and understand its purpose are welcome and take part in the spiritual event. Let this not be commercialised by greedy people in the name of tourism.
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