या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता।।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
महाशक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्री। तीन हिंदू देवियों- पार्वती,
लक्ष्मी और सरस्वती के नौ विभिन्न स्वरूपों की उपासना के लिए निर्धारित है,
जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। पहले तीन दिन पार्वती के तीन
स्वरूपों की अगले तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरूपों और आखिरी के तीन दिन
सरस्वती माता के स्वरूपों की पूजा करते है।
दुर्गा सप्तशती के अन्तर्गत देव दानव युद्ध का विस्तृत वर्णन है। इसमें
देवी भगवती और मां पार्वती ने किस प्रकार से देवताओं के साम्राज्य को
स्थापित करने के लिए तीनों लोकों में उत्पात मचाने वाले महादानवों से लोहा
लिया इसका वर्णन आता है। यही कारण है कि आज सारे भारत में हर जगह दुर्गा
यानि नवदुर्गाओं के मन्दिर स्थापित हैं।
साल में दो बार अश्रि्वन और चैत्र मास में नौ दिन के लिए उत्तर से
दक्षिण भारत में नवरात्र उत्सव का माहौल होता है। इन दिनों में संपूर्ण
दुर्गा सप्तशती का अगर पाठ न भी कर सकें तो निम्नलिखित श्लोकों को पढ़ने से
संपूर्ण दुर्गा सप्तशती और नवदुर्गाओं के पूजन का फल प्राप्त हो जाता है।
No comments:
Post a Comment