माघ माह में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही तीर्थराज प्रयाग के संगम
तट पर श्रद्धालुओं का समुद्र हिलोरे मारने लगा। मान्यता व विश्वास है कि
मनुष्यों के इस समूह के साथ देवता-दैत्य और किन्नरों ने गंगा-यमुना और
अदृश्य सरस्वती की पावन जलधारा में पुण्य की डुबकी लगाकर खुद को धन्य किया।
माघ मेला के प्रथम स्नान पर्व मकर संक्रांति पर शनिवार को लाखों
श्रद्धालुओं ने गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर
पुण्य लाभ की कामना की।
श्रद्धालुओं का महासमुद्र देखते हुए सुरक्षा के
व्यापक प्रबंध किए गए हैं। भोर में शुरू हुआ स्नान देर शाम तक चलता रहा।
शुभ मुहूर्त के कारण इस बार मकर संक्रांति का स्नान रविवार को भी होगा।
प्रशासन की मानें तो मकर संक्रांति पर पहले दिन करीब तीस लाख लोगों ने संगम
व उसके आसपास के घाटों पर डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं के आने का क्रम दो दिन
पहले से शुरू हो गया था। शुक्रवार को सारी रात श्रद्धालुओं का आना जारी
रहा। शनिवार भोर से स्नान शुरू हो गया। कड़ाके की ठंड की परवाह न करते हुए
श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ कमाया। श्रद्धालुओं
ने स्नान के बाद संतों के शिविर में जाकर अपना समय बिताया। लोगों की मदद के
लिए कई संतों के शिविर में भंडारे का आयोजन हुआ। मकर संक्रांति स्नान पर्व
की प्रमुख तिथि रविवार को होने के कारण अधिकतर श्रद्धालु मेला क्षेत्र में
ही रुक गए। वह रविवार को पुन: स्नान करने के बाद वापस लौटेंगे।
No comments:
Post a Comment