Friday, 27 January 2012

संगम में डुबकी से दूर होगा अज्ञान

 
माघ शुक्ल की पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जो फाल्गुन कृष्ण पंचमी को पूर्ण होगी। इसी पावन तिथि पर भगवती वाग् देवी (मां सरस्वती) का प्राकट्य भी हुआ था। इसी कारण इसे ज्ञान व वैराग्य की पंचमी भी माना जाता है। आध्यात्मिक साधना व भौतिक जगत में शिक्षा का ज्ञानार्जन का यह सबसे उत्तम समय है। इस दिन संगम स्नान, दान व यम-नियम से मां सरस्वती का पूजन करने से विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है। प्राचीनकाल में इसी तिथि को छात्र विद्या ग्रहण करने के लिए गुरुकुल जाते थे। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय के अनुसार पंचमी तिथि शनिवार की दोपहर 2.45 बजे तक रहेगी। सूर्योदय से पहले सुबह 5.47 बजे तक स्नान-दान का सबसे उत्तम समय है। मां सरस्वती का प्राकट्य होने के कारण इस तिथि पर संगम के पावन जल में डुबकी लगाने मात्र से ही साधक के अंदर का अज्ञान हमेशा के लिए दूर हो जाता है। श्री राय के अनुसार स्नान के बाद दान व मां सरस्वती का पूजन करना आवश्यक है। घर, स्कूल, कालेज या संस्थान में मां सरस्वती की प्रतिमा रखकर उन्हें सफेद पुष्प, चंदन, दूध, दही, मक्खन, वस्त्र व तिल के सफेद लड्डू या मिष्ठान अर्पित करें। धूप, दीप अर्पित करने के बाद ओम क्लीं बीज मंत्र का कम से कम एक माला जाप करने से बुद्धि का विकास होता है।

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