भगवान भाष्कर के मकर राशि में प्रवेश करते ही रविवार भोर में तीर्थराज
प्रयाग के संगम तट पर श्रद्धा का समुद्र हिलोरे मारने लगा। गंगा-यमुना व
अदृश्य सरस्वती की पावन जलधारा में डुबकी लगाने लाखों नर-नारी के साथ
देवी-देवता, किन्नर यहां पहुंचे। इन सभी ने संगम की जलधारा में पुण्य की
डुबकी लगाई। हृदय वीणा के तार झंकृत करने वाला यह दृश्य अन्यत्र दुर्लभ है।
श्रद्धालुओं ने यहां केवल पुण्य की डुबकी नहीं लगाई, बल्कि दान कर्म करके
गरीबों की मदद भी की। गोदान कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए
धर्म-कर्म किया।
चहुंओर धर्म-अध्यात्म का माहौल और उसमें डूबते-उतराते लाखों जन। रविवार को
छुट्टी का दिन व मकर संक्रांति स्नान की तिथि होने से लोगों में खासा
उत्साह रहा। शनिवार को मकर स्नान करने वालों ने भी आज पुण्य कमाया। महिला,
पुरुष, बच्चे हर किसी ने संगम के साथ गंगा के अलग-अलग घाटों पर स्नान किया।
स्नान करने वालों में बाहरी के साथ शहर के लोगों की भी खासी भीड़ रही।
संतों के शिविर में भजन, कीर्तन व प्रवचन के माध्यम से लोगों को धर्म और
अध्यात्म की सीख दी गई। इनके साथ संत-महात्माओं ने भी संगम में डुबकी लगाकर
पूजा-पाठ किया।
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