एक डुबकी मौन की, और पूरे कल्पवास का पुण्य, यह मान्यता और विश्वास ही
लोगों को देवनगरी प्रयाग में संगम तीरे खींच ला रहा है। सोमवार को मौनी
अमावस्या है, इस मौके पर गंगा-यमुना की पवित्र जलधारा में लाखों श्रद्धालु
डुबकी लगाकर पुण्य लाभ कमाएंगे।
मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी
में डुबकी लगाने से मानव को शारीरिक व आंतरिक शक्ति प्राप्त होगी। साथ ही
सच्चे हृदय से संगम में डुबकी लगाने वाले मानव के लिए मोक्ष का द्वार भी
खुल जाता है। सोमवार को पड़ने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है।
ऐसी
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने को देव, दानव,
मानव, किन्नर, पशु, पक्षी सभी एक साथ डुबकी लगाएंगे। यहां स्नान व दान करने
से इंसान के जन्मजन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। ज्योतिर्विद आचार्य
अविनाश राय के अनुसार मौनी अमावस्या पर स्नान के साथ पितरों के श्रद्धा व
तर्पण का भी विधान है। संगम, गंगा, यमुना, सरोवर या घर में स्नान के बाद
पितरों को तर्पण, श्राद्ध व जलांजलि देने से वह उन्हें सीधे प्राप्त होता
है, और प्रसन्नता होती है। स्नान के बाद पितरों का नाम लेकर तीन, पांच या
सात बार जलांजलि देनी चाहिए। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती बताते हैं कि संगम में स्नान करने
वाले श्रद्धालु को एक, तीन, पांच, सात व नौ डुबकी लगानी चाहिए।
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